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सांसद छत्रपति संभाजी राजे को बिना नई पार्टी सोचे रिपाई डेमोक्रेटिक के साथ नेतृत्व करना चाहिए।:- डॉ. राजन माकणीकर

मुंबई: दि (संवाददाता) छत्रपति शिवाजी और राजर्षि शाहू महाराज के वंशज सांसद संभाजी राजे जिंहोणे मराठा आरक्षण पर एक नई पार्टी के गठन का विचार किए बिना, विश्वरत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर नेतृत्व करना चाहीये। येह इच्छा राष्ट्रीय महासचिब डॉ राजन माकणीकर ने जताई। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा परिकल्पित खुले पत्र से पैंथर आंदोलन के दिग्गज दिवंगत पूर्व विधायक टी.एम. कांबले और भाई संगारे की पहल पर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का गठन किया गया और एक नया तूफान खड़ा कर दिया।
कुछ लोगो ने महसूस किया कि पार्टी के पितृसत्तात्मक नेतृत्व के निधन के कारण पार्टी कुछ हद तक बिखर गई है। लेकिन पक्षप्रमुख कनिष्क कांबळे ने पुरी क्षमता से पार्टी की जवाबदारी अपनी युवा खांदो पर ली, उसकी बडोलत आज प्रदेश में पार्टी की ताकत बढ़ती जा रही है।
येदी खा. संभाजी राजे पार्टी के साथ आते हैं और नेतृत्व स्वीकार करते हैं, तो देश की सभी जनता एक साथ आएगी और सत्ता के कारण में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगी और शिवराय फुले साहू बाबासाहेब अम्बेडकर के सपने को पूरा करने में मदद करेगी।

मराठा आरक्षण का मुद्दा जानबूझकर लंबे समय से लटकाया जा रहा है और तस्वीर साफ है कि सत्ताधारी मराठा आरक्षण नहीं देना चाहते हैं, इसलिए सड़क संघर्ष अपरिहार्य है। डॉ. माकणीकर चाहते हैं कि सांसद संभाजी राजे भोसले रिपाई डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ आए और राजनीति में बदलाव लाए।

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